प्रेस की वर्तमान चुनौती
प्रेस ने स्वतन्त्रता के लिए जैसा संघर्ष किया वो प्रेस, मीडिया अब मीडिया नही है आजादी के बाद प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बना मीडिया ने कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका, की प्रहरी बनी । प्रेस ने जो स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष और अंग्रेजों द्वारा जेल मे भरने ओर कई पत्रकारों पर मुक़दमे चले वह तो गिने नही जा सकते है ,लेकिन आज ऐसी पत्रकारिता करना नामुकिन है ,टेलीविज़न मीडिया ने अपनी जो साख बनाई ओर अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नही बल्कि सरकार के उंगली पर चलने वाली मीडिया है , कहना गलत नही यह होगा गोदी मीडिया है । वर्तमान मे बेरोजगरि, मॅहगाई, कई सरकारी दफ्तरों मे पदों का खाली रहना ,स्कूल कॉलेज मे टीचर्स की आवश्कता की आपूर्ति , हर चीज़ का निजीकरण हवाईअड्डा, बैंक , PSUs, रेलवे ,सरकार का जो भी हिस्सा था वह अब निजिकरण करेगी , क्या इन से बेरोजगारी दर और त्रस्त नही होगी ,कोरोना के कारण पूर्णबन्दी मे दौरान दिल्ली के एयरपोर्ट से चार लाख कर्मचारियों को निकाल दिया गया था , अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि अब सरकार हर किसी का निजीकरण करेगी , बैंक के निजीकरण के विरोध बैंक कर्मचारी हड़ताल कर रहे ह...